काला इल्म || तांत्रिक क्रिया
काला इल्म का मतलब है- ‘तांत्रिक क्रिया’। यह एक ऐसी विद्या है जोकि आम आदमी के लिए एक अत्यंत गुप्त विद्या बहुत कम ही लोग इसके बारे में जानते हैं जो जानते हैं वे हर आम आदमी की अज्ञानता का फायदा उठाकर ऊट-पटांग बातों से ठगते हैं जबकि इसविद्या द्वारा जनमानस को उसके हित के लिए इस्तेमाल करना ही सार्थक है।
मौजूदा वक्त में हर इंसान दो-चार इधर-उधर की पटरी छाप पुस्तकों को पढ़कर अपनेआपको परम विद्वान समझता है, परन्तु ऐसा नहीं है। काला इल्म एक सम्पूर्ण ज्ञान है व इसके इस्तेमाल से अपनी ही नहीं दूसरों की भी भारी भरकम मुसीबतें, जनहानि, ध नहानि रोकी जा सकती है। मिसाल के तौर पर आपने रहने को मकान बनाया लेकिन आपके चाहने वालों की उस पर बुरी नजर है आप क्या करेंगे। वे आपके मकान पर ऐसा उपाय करेंगे कि आप स्वयं के मकान में घुसने से डरेंगे प्रस्तुत पुस्तक में हमने ऐसे ही कुछ विशेष समस्याओं व उनका निदान करने का प्रयास किया है।
जो भी काला इल्म की चपेट में आया होता है, ऊपर से रोगी, धनहीन, चिड़चिड़ा, पत्नीहीन, संतानहीन तक होता है परन्तु आज के युग में उपाय किस चीज का संभव नहीं है। एक ही छत के नीचे एक ही परिवार के रिश्तेदार, सगे सम्बन्धी एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाने के लिए अनेक प्रकार के इल्म करते हैं। कोई व्यापार बांधता है, कोई संतान बांध ता है, कोई ऐसा रोगी हो जाता है कि सालों बिस्तर पर पड़ा रहता है। लाखों की दवा कर लो कोई असर नहीं होता। ज्यों-ज्यों दवा की, रोग बढ़ता गया क्योंकि वह शत्रुतावश कराया गया काला इल्म है। हर चीज विनाश करती है तो उसका उपाय भी किया जाता है।
ऐसी अवस्था में भाग्य के भरोसे बैठ जाना भगवान को दोष देना या किसी को भी दोष देना व्यर्थ है। करने वाले ने अपना काम किया व आपको समस्या में डाल दिया। दूर बैठकर अथवा पास बैठकर हंसता भी है। हमदर्दी भी दिखाता है। ये उसी तरह का नमूना है जैसे कि हरी घास में हरा सांप भी घास के समान ही होता है। परन्तु काटने पर जहर पूरा काम करता है। ऐसे ही अक्लमंद आदमी को चाहिए कि अकड़ना, क्रोध करना व्यर्थ है,
अपने मन को झूठी सल्ली न देकर उसका तोड़ निकालें ऐसी अवस्था में यदि आपकी पहुँच किसी ज्ञानी तांत्रिक, ओझा, सयाने, मौलवी तक नहीं है तो प्रस्तुत पुस्तक आपके लिए अंधेरे में रोशनी के समान है।
उक्त पुस्तक के द्वारा आप अपना बचाव ही नहीं कर सकेंगे बल्कि शत्रु को मुँह की खाने पर मजदूर कर देंगे। कई बार ऐसी तांत्रिक क्रिया यदि किसी योग्य गुरु के सम्पर्क में की जाए तो करने वाले शत्रु पर भारी पड़ती है। प्रस्तुत पुस्तक में हमने सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए जनमानस की सुविधा, सुरक्षा व भलाई के लिए तैयार ही है आशा है पाठकगण लाभान्वित होंगे।सभी मानदण्डों का पालन करते हुए हमने पूर्ण सावधानी बरतते हुए पुस्तक की सामग्री तैयार की है
फिर भी पाठकगण से हमारे विनम्र अनुरोध है कि पुस्तक के प्रकाशित संकलित सामग्री अथवा प्रयोग के वाद-विवाद का तर्क मान्य नहीं होगा ना ही इसके लिए किसी भी प्रकार की साधना या प्रयोग की सफलता, असफलता, हानि-लाभ के लिए प्रकाशक, लेखक, मुद्रक, सम्पादक जिम्मेदार नहीं होगा। इसके लिए साधक स्वयं जिम्मेदार होगा। हमारा परामर्श है कि कोई भी साधक ऐसा कार्य न करें, सामाजिक दृष्टिकोण से अनुचित हो पुस्तक में लिखित किसी भी संलित सामग्री के सम्बन्ध में कभी भी किसी प्रकार की आलोचना या आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी। प्रस्तुत पुस्तक जनमानस के हित के लिए तैयार की गई है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि पाठकगण लाभान्वित होंगे।
ज्यादातर हर आम आदमी जिसको कि अमल के बारे में मालूम नहीं होता प्रायः यही कहता है कि अमलयात काम नहीं करते और उनसे फायदा नहीं होता। नई रोशनी के लोग तो बिल्कुल नहीं मानते। वह किसलिए क्योंकि वे यह समझते हैं कि इसमें चूंकि असर नहीं है इसलिए यह सब झूठ है। मैं आपका ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूँ कि हमारे तावीजों, गण्डों और अमलियात में असर क्यों नहीं रहा और लोग इनसे फायदा क्यों नहीं उठाते। इसकी असल वजह यह है कि वे तरकीब से काम नहीं लेते। पूरी तरह इसके इस्तेमाल के तरीके नहीं समझते और मेहनत से काम नहीं लेते। पाक-साफ नहीं रहते, झूठ अधिक बोलते हैं
इसलिए उन चीजों से फायदा नहीं होता है यदि आज भी हम लोग उसूल के अनुसार काम करने लगे और पाक साफ रहा करें और उनसे काम लें तो कोई कारण नहीं कि फायदा न हो लोग कभी इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब इंसान की दुआ और उसकी जुबान से निकली हुई बात पूरी हो जाती है तो फिर खुदा के कलाम से फायदा क्यों नहीं होता उसके कलाम से क्यों लाभ नहीं होगा।
लेकिन दुख तो उन लोगों पर है जो इन बातों पर विश्वास रखते हैं केवल तर्जुबा करने के लिए अमलियात से काम लेना शुरू कर देते हैं लेकिन वे अपनी कोशिश में पूरे नहीं उतरते। यह क्यों? केवल इसलिए कि जिसका विश्वास ठीक नहीं, उसका ईमान ठीक नहीं। इसलिए उसका कोई काम ठीक नहीं होता और जिसका कोई काम ठीक नहीं होता उसे कोई लाभ नहीं पहुँचेगा।
उसूल के अनुसार अमल पर काम करना चाहिए जब तक काम पूरा न हो उस समय तक अपने अमल को व्यस्त रखना चाहिए। विश्वास ठीक जमाने के बाद ही हमारी चीजों को इस्तेमाल कीजिए और खुदा की कुदरत का तमाशा देखिए स्वयं भी लाभ उठाइए और हमें भी दुआ दीजिए यदि आपका काम हो जाए तो उन लोगों से डंके की चोट पर कह दो कि उनका अक़ीदा ठीक नहीं है इसलिए ये चीजें उनको किसी भी हालत से लाभ नहीं पहुँचा सकतीं।
ऐसे लोग जो तर्जुबा करना चाहें और वे कभी भी इन चीजों से काम लेने की कोशिश न करें क्योंकि जब नीयत ही ठीक न हो तो अमल बेकार है। तो सबसे बड़ी बात नीयत और अक़ीदे की है अपनी अच्छी नीयत व नेक विचारों से ही हम लाभ उठा सकते हैं और जो भी लाभ हम उठाना चाहते हैं उसी तरह लाभ उठायें।
अल्लाह की दया व कृपा पर भरोसा रखें कि वही हर मुश्किल को आसान करने वाला है और वही कारसाज़ है हर काम वही बनाता है जो हर इंसान का होना चाहिए अंत में हमें फिर यही कहना है कि हर काम का आधार उसके अक़ीदे व विश्वास पर होता है। यही अक़ीदा ठीक होता है तो सफलता अवश्य मिलती हैं और अक़ीदा ठीक नहीं है तो उस काम में पूरी कामयाबी होना या कामयाबी मिलना संभव नहीं चाहे वह काम कितना ही आसान हो। यही बात अमलियात की है यदि तालिब का अक़ीदा पूर्ण विश्वास पर आधारित हो तो हर अमल अपना तुरन्त असर दिखाएगा।
अमलियात व हाज़िरात
एक शीशे का प्याला लो उसकी तली में चमकदार स्याही लगाओ उस प्याले को धूप में रखकर अच्छी तरह सुखा लो। स्याही इस तरह लगाओ कि ज़रा सा भी दाग उसमें न रहने पाए। एक साफ कमरे में रात को उस प्याले को लेकर दाखिल हो जाओ लेकिन यह स्याही वह होनी चाहिए जो फोटोग्राफर इस्तेमाल करते हैं इसलिए कि वह स्याही पानी में घुलकर पानी को काला न करे। इस प्याले में उस जगह तक पानी भर दो जहाँ तक स्याही लगी हो। इसके बाद इस लैम्प को ऊँची जगह रख दो और उसके ऊपर एक मोटा कागज़ इस तरह लगा दो कि रोशनी न ऊपर जाए न इधर-उधर फैले बल्कि रोशनी केवल प्याले पर ही पड़े।
जब रोशनी उसमें पड़ने लगे तो निगाह जमाकर उस प्याले को ध्यान से देखने लगे। पहले दिन तो जल्द ही थक जाओगे। थोड़े दिनों बाद जब अच्छी तरह तुम्हारी निगाह जमने लगे तो उसमें बादल के टुकड़े हरकत करते नज़र आएंगे मगर फिर भी आप ध्यान से देखते रहें। जब इस अमल के आमिल हो जाओगे उस समय इससे यूं काम लेना चाहिए।
दूसरा तरीका
सुबह सवेरे उठो वुजू करके एक कमरे में जा बैठें जहाँ कोई न हो लेकिन ध्यान रहे कि इस काम के लिए एक ही समय निर्धारित रहे। यह अमल करने से पहले किसी प्रकार का खाना या शर्बत आदि इस्तेमाल कर लेना चाहिए। बिल्कुल भूखा न रहें ताकि अमल के समय शरीर के अंग एक ही ओर काम में लग जाएं। इस समय अपने दिल से हर प्रकार के विचारों को निकाल देना चाहिए। कमरे में किसी कोने में बैठ जायें और अपना रुख सूरज निकलने की दिशा में कर लें अर्थात् पूरब की ओर। अमल करने से पहले एक दायरा खींच लें और उस समय तक बाहर कदम न निकालें जब तक कि अमल
न हो जाए जब दायरा या कुंडली खींच लें तो उस समय अपनी दोनों आंखों से अपनी नाक की नोंक की ओर देखें। इस अमल से शुरू-शुरू में बहुत थक जाओगे ओर अधि क समय तक आंखें नाक की नोंक पर न जमा सकोगे।
काम लेने का पहला तरीका
प्याले में स्याही लगाकर पानी भरो और लैम्प की रोशनी इस प्याले में डालकर एक-दूसरे आदमी को कहो कि वह गौर से उस स्याही को देखता रहे।
पहले एक भंगी आएगा वह झाडू देगा फिर सक्का आएगा वह छिड़काव करेगा फिर फर्श बिछाने वाला आकर फर्श बिछाएगा इसके बाद वहां एक तख्त बिछ जाएगा।
थोड़ी देर में जिन्नों का बादशाह परियों सहित आएगा और तख्त पर बैठ जाएगा, परियाँ हाथ बांधे उसे घेरकर खड़ी हो जाएंगी। आमिल अपने मामूल से पूछता रहे कि वह क्या देख रहा है। जब बादशाह आ जाए तो आमिल अपने मामूल से कहे मामूल जो कुछ बादशाह से मालूम करेगा वह उसे तुरन्त ही बता देगा।
अमल के दौरान ऐसा मालूम होगा कि जैसे दम घुटता जा रहा है या कलेजा मुँह को आ रहा है। मगर इससे घबराना नहीं चाहिए इस अमल में किसी प्रकार खतरा नहीं है केवल आंखों में एक दर्द सा महसूस होने लगेगा या अधिक देखने से आंसू बहने लगेंगे।
अमल के फायदे
जो आमदी इस अमल का आमिल हो जाएगा उसका जीवन मिसाली बन जाएगा। वह अपनी निगाह डालकर निराश रोगियों को ठीक करेगा देर में सुख शांति पैदा होगी मुश्किल काम भी उसे आसान नज़र आएंगे। आमिल इस अमल से असंख्य लाभ उठा सकता है यह अमल भी मिसमरेज़िम और हिप्नाटिज़्म की तरह बड़ा लाभकारी है।
लेकिन आमिल को चाहिए कि रोज़ सुबह सवेरे उठकर अपना अमल बराबर जारी रखे ताकि अमल की मज़बूती कायम रहे और उसे नाकामी का मुँह न देखना पड़े यदि यह अमल छोड़ दिया गया तो काम भी होने बंद हो जाएंगे।
मुहब्बत के लिए अमल
मुहब्बत के वास्ते यह एक आज़माया हुआ अमल है यदि इसे नेक काम के लिए कोई करेगा तो अवश्य सफल होगा इसकी दिली मुराद पूरी होगी। यह अमल बड़ा प्रभावशाली है तुरन्त अपना असर दिखाता है इसका आमिल कभी नाकाम नहीं रहता यह इसकी विशेषता है। बुरे नाजायज़ कामों के लिए इस अमल को कदापि न किए जाए वरना निराशा होगी।
अमल करने का तरीका
मैंने इससे पूर्व भी बार-बार इस भेद को खुले तौर पर पेश किया है कि हमजाद के अमल में कल्पना का बांधना और उसे मजबूत करना अमल करने से भी अधिक जरूरी है जिसका तरीका यह है कि सुबह जागने पर दिमाग हर प्रकार के विचारों से पाक व साफ होता है इसलिए हमजाद को बस में करने के लिए यह समय अत्यन्त उचित है इसलिए आपको चाहिए कि सुबह सवेरे जागते ही शीशा सामने रखकर पन्द्रह या बीस मिनट अपनी कल्पना की मश्क करें। मश्क के दौरान आंख बहुत कम झपकना चाहिए और किसी भी प्रकार का विचार दिल में न लाएं।
आपको शीशे में अपनी शक्ल का जो अकस नजर आए सारा दिन उसे चलते फिरते भी अपनी कल्पना में हाजिर रहने का प्रयास रखें। धीरे-धीरे हफ्ता दो हफ्ता बाद आपके अमल के हालात तब्दील होते जाएं। शुरू के दिनों में कभी कभी आपको किसी खास स्थान पर अपनी शक्ल नजर आएगी। धीरे-धीरे जागते में अंधेरे कमरे या अंधेरी जगह पर ही आपको अपनी शक्ल नजर आएगी।
जब यहां तक नौबत पहुंच जाए कि आपकी शक्ल का हमजाद या कल्पना जो कि बिल्कुल आपका हम शक्ल हो अर्थात जो लिबास आपने पहना हुआ हो वही उसके वदन पर नजर आए मतलब यह है कि आपके और उस के रूप में बाल बराबर भी फर्क न हो तो वह आपको हर स्थान पर नजर आएगा यदि आमिल को सुबह सवेरे या किसी और समय अवसर मिले तो उस समय भी शीशे में अपनी कल्पना बांधे लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रहे कि जिस स्थान पर अमल किया जा रहा हो वहां किसी प्रकार का शोर व हंगामा न होने पाए और न किसी का आना जाना होना चाहिए।
दिन को अमल करने से आपको एक या दो दिन में ही आसमान में एक पुतला नजर आएगा लेकिन वह इस सूरत में नजर आएगा कि आप साए में गर्दन से बिना झपके नजर आसमान की ओर करें। पहली बार तो पुतला बड़ा ही बेढ़गा बादल की तरह नजर आएगा धीरे-धीरे साफ होता जाएगा और मश्क के दौरान जमीन पर उतरता नजर आएगा और कुछ ही दिनों में जमीन पर आ जाएगा।
इसके बाद वह चलते फिरते हर समय आमल के साथ रहेगा। मतलब यह कि जिस जगह आमिल की नजर आएगी वहां यह पुतला नजर आएगा। अब आमिल को उसके अन्दर यह बात पैदा करनी चाहिए कि जैसी आमिल की शक्ल व रूप ही उसी तरह उसे अन्दर पायी जाए।