टोटके और यंत्र

टोटके और यंत्र, तंत्र, मंत्र || गर्भधारण के लिए || पीलिया का मंत्र

आदिकाल से हमारे समाज में रोग उपचार के लिए टोटके और तंत्र-मंत्र का रिवाज रहा है। मौलवी, ओझा तथा तान्त्रिकों के पास जाकर लोग इलाज कराते देखे जाते हैं। ईश्वर अनुकम्पा से लोगों को लाभ होता है, इसे कहा जा सकता है। ऐसे ही श्रद्धा और विश्वास के साथ आप भी इन्हें अपनायेंगे, प्रयोग में लायेंगे तो निश्चय रूप से लाभान्वित होंगे। ये उपचार निम्नवत् हैं-

 

गर्भधारण के लिए

विवाह के अनेक वर्षों पश्चात् भी यदि संतान न हो तो दम्पत्ति के लिए यहा दुखदायी होता है। ऐसी स्थिति में दम्पत्ति को चाहिये कि वह कुम्हार के घर जाकर उससे प्रार्थना करके मिट्टी के बर्तन काटने वाला डोरा ले आये। फिर उसे किसी साफ गिलास में जल भरकर डाल दे। कुछ समय बाद डोरा निकाल दे और उस पानी को पति-पत्नी दोनों पी लें।

यह क्रिया मंगलवार के दिन ही करें तथा उसी दिन रमण करें। गर्भ की स्थिति होने पर उस डोरे को हनुमान जी के चरणों में रख दें।

इसके अतिरिक्त सोमवार के दिन किसी भी जड़ी-बूटी बेचने वाले से शिवलिंगी का एक बीज और लक्ष्मण बूटी का एक बीज ले आयें। इन पर २१ बार ॐ नमः शिवाय का श्रद्धापूर्वक जाप करें। इसके बाद इन बूटियों का सेवन कर रमण करें। ऐसा करने से संतान अवश्य होगी।

सन्तानोत्पत्ति के लिए पति-पत्नी रमण से पूर्व ही अपने मन को एकाग्र कर केवल यही सोचें कि हमारे संतान होगी। अवश्य होगी। ईश्वर की कृपा से हम संतान धन प्राप्त करके रहेंगे। इसके

बाद पुरुष अपने दायें पैर के अंगूठे से स्त्री की योनि का स्पर्श करे तो संतानसुख की प्राप्ति होती है।

बार-बार गर्भपात होने की स्थिति में

बार-बार गर्भपात होना अच्छा नहीं माना जाता। इसके लिए मुलहठी, आंवला और सतावर को कूटकर इन सभी को अच्छी तरह पीसकर कपड़े में छान लें। इस औषधि को रविवार से लेना आरम्भ करें। औषधि को गाय के दूध में सेवन लाभदायक व गुणकारी है। मात्रा लगभग ६ ग्राम है। इसके अतिरिक्त मंगलवार के दिन लाल कपड़े में थोड़ा नमक बांधकर हनुमान जी के मंदिर में जाकर पोटली को उनके चरणों में स्पर्श कराएं, घर आने पर गर्भिणी के पेट पर बांधने से गर्भपात होना बन्द हो जाता है।

पीलिया का मंत्र

पीलिया होने पर निम्न मंत्र का उपयोग करें। ॐ नमो आदेश गुरु का रामचन्ह सावधान काला पीला रोता धोता पी पीला कड जे रामचन्द्र जी यथा मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।

विधि-कटोरी में पानी भरकर ७ दिन तक सुई से झाड़ा देते रहें।

पसली का मंत्र

समुद्र किनारे पर सो रही गाय के पेट में कलेचा, कलेचा के पेट में डबडब करे खड़ा दोहराई नाना चमारी के।

रविवार की रात को नृसिंहजी का पूजन करें। धूप, दीप, चंदन, पुष्प, रोली, अक्षत् पान, सुपारी लौंग लेकर १०८ बार मंत्र का जप करें। जल्द ही पसलियों का दर्द दूर हो जायेगा।

बवासीर का मंत्र

खुरासानी की दोवसाई खूनी वादी तत्व जलाये।

विधि-पानी पर ६ बार पढ़कर आबदस्त में प्रतिदिन लें तो

रोग अच्छा हो जाता है।

अन्न पचाने का मंत्र-रसोई जीमकर इस मंत्र को ६ बार पढ़कर पेट पर हाथ फेरें तो अन्न शीघ्र पच जाता है।

 

अगस्त्यः

कुम्भकर्णश्च

भावातल

आहरणार्थ स्मेरतमो यश्चपच कुम्भ।

कष्टरहित प्रसव के लिए

प्रसव के समय कष्ट होना स्वाभाविक है। फिर भी निम्न उपायों द्वारा प्रसव कष्ट में कमी की जा सकती है और प्रसव सुख-शान्तिपूर्वक हो सकता है।

(१) सर्वप्रथम एक साफ कटोरी में गंगाजल भर लें और निम्न मंत्र का २१ बार जप करें। यह ध्यान रखें कि जाप के मध्य मध्यमा अंगुली बराबर जल में घूमती रहे। इसके बाद गर्भवती स्त्री को यह पिला दें। गर्भ ठीक प्रकार से होगा।

मंत्र-

कुबेरत्वं धनाधीश गृहे वे कमला स्थिता । त्वं देवी प्रेषमाशु त्वमङ्ग्रह ते नयो नमः।

(२) कष्टरहित प्रसव के लिए निम्नलिखित यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर केवल रविवार को गर्भिणी की कमर में बांध दें। प्रसव कष्टरहित होगा। इसके अलावा इस मंत्र को कांसे के बर्तन पर अष्टगंध से लिखकर उस पर पानी डाल दें। फिर जल गिलास में डाल कर गर्भिणी को पिला दें। यह क्रियायें प्रसव पीड़ा के बाद करें। इसे पहले करने से गर्भ समय से पहले हो जायेगा।

यंत्र-

इस यंत्र को २ से आगे लिखना शुरू करना है। साथ-साथ ढाई घर की चाल से लिखना है।

 

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